कांग्रेस पार्टी द्वारा 'Congress Guarantee Card' के माध्यम से मतदाताओं को प्रभावित करने का आरोप

बहुत ही महत्वपूर्ण है कि चुनावी प्रक्रिया में कोई भी दल या उम्मीदवार किसी भी प्रकार से मतदाताओं को प्रभावित न करे। इस संदर्भ में, भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किए गए निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है। यहां एक विस्तृत रिपोर्ट है जिसमें इस मुद्दे पर विचार किया गया है।

कांग्रेस पार्टी ने अपने 2024 के चुनावी अभियान के हिस्से के रूप में, एक ‘Congress Guarantee Card’ विकसित किया है। यह कार्ड मुख्य रूप से पांच न्यायों और 25 गारंटियों के बारे में बताता है, जिन्हें कांग्रेस सरकार बनने पर देने का वादा करती है। कार्ड को 12 भिन्न भाषाओं में छापा गया है और देशभर में करोड़ों प्रतियां वितरित की गई हैं।

कार्यकर्ता गारंटी कार्ड के साथ घर-घर जा रहे हैं और मतदाताओं को इन वादों के बारे में बता रहे हैं। इस कार्ड के माध्यम से वे मतदाताओं से संवाद करना शुरू करते हैं और उन्हें कांग्रेस को वोट देने के लिए आश्वस्त करने की कोशिश करते हैं।

कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा इस कार्ड का उपयोग करते समय, मतदाताओं से उनके नाम, पते और मोबाइल नंबर जैसे महत्वपूर्ण विवरण मांगे जा रहे हैं। इस कार्यप्रणाली पर आपत्ति जताते हुए, चंडीगढ़ के जिला निर्वाचन अधिकारी ने कांग्रेस उम्मीदवार मनीष तिवारी और प्रदेश अध्यक्ष एचएस लकी को नोटिस जारी किया है।

Allegations of the Congress party influencing voters through the 'Congress Guarantee Card'
Allegations of the Congress party influencing voters through the ‘Congress Guarantee Card’

निर्वाचन अधिकारी का कहना है कि इस प्रकार के कार्ड के माध्यम से मतदाताओं से संपर्क विवरण एकत्र करना और उन्हें एक विशेष तरीके से मतदान करने के लिए प्रेरित करना, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(1) और भारतीय दंड संहिता की धारा 171(बी) का उल्लंघन है। इसलिए उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि ऐसी किसी भी गतिविधि को तत्काल बंद किया जाए। साथ ही, यदि भविष्य में इस तरह की गतिविधियां जारी रहीं, तो उम्मीदवार और पार्टी के पदाधिकारियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

कांग्रेस का पक्ष:

कांग्रेस पार्टी का मानना है कि गारंटी कार्ड का उद्देश्य केवल मतदाताओं को उनके घोषणापत्र के प्रमुख बिंदुओं से अवगत कराना है। उनका कहना है कि इसके माध्यम से वे किसी भी तरह से मतदाताओं को प्रभावित नहीं कर रहे हैं, बल्कि केवल उनके साथ अपने वादों को साझा कर रहे हैं।

निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देश:

निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि किसी भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार को मतदाताओं को प्रलोभन देने या उन्हें किसी विशेष तरीके से मतदान करने के लिए प्रेरित करने की अनुमति नहीं है। इसे जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(1) के तहत एक निषिद्ध गतिविधि माना जाता है।

सारांश:

चुनाव की स्वतंत्रता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि सभी राजनीतिक दल और उम्मीदवार निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देशों का पूरी तरह से पालन करें। कोई भी गतिविधि जो मतदाताओं को किसी भी तरह से प्रभावित करती हो, गैरकानूनी है और इस पर सख्त कार्रवाई की जा सकती है। चुनाव की प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाए रखना सभी का दायित्व है।

यह मामला एक बार फिर यह रेखांकित करता है कि चुनाव की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को सभी नियमों और विनियमों का पालन करना होगा ताकि लोकतंत्र को मजबूत किया जा सके।

मैं आशा करता हूं कि यह विस्तृत रिपोर्ट इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर प्रकाश डालती है। आपको इस जानकारी से लाभ मिलेगा।

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