मनीष सिसोदिया के लिए न्याय की राह में एक और मोड़ आ गया है। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई गुरुवार को टल गई। यह देरी तब हुई जब तीन जजों की बेंच में से एक जज ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया।
जज सजंय कुमार का फैसला
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय कुमार ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। उन्होंने कहा कि वे इस केस को नहीं सुनना चाहेंगे। इस घटनाक्रम के बाद, कोर्ट ने मामले को अगले हफ्ते के लिए सूचीबद्ध कर दिया है।
सिसोदिया की जमानत याचिका का पृष्ठभूमि
मनीष सिसोदिया ने दिल्ली शराब नीति मामले में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के खिलाफ जमानत की मांग की है। उन्होंने अपनी याचिका में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं का जिक्र किया है:
- लंबी जेल अवधि: सिसोदिया लगभग 16 महीनों से जेल में हैं।
- ट्रायल की देरी: अभी तक दोनों मामलों में ट्रायल शुरू नहीं हुआ है।
- पिछला आदेश: सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2023 में जमानत देने से इनकार कर दिया था।
- परिस्थितियों में बदलाव: कोर्ट ने कहा था कि अगर हालात बदलते हैं या ट्रायल धीमी गति से चलता है, तो नई जमानत याचिका दायर की जा सकती है।
मामले की जटिलताएं
इस केस में कई पेचीदगियां हैं जो इसे और भी दिलचस्प बनाती हैं:
- CBI और ED की जांच: दोनों एजेंसियां अलग-अलग पहलुओं की जांच कर रही हैं।
- अतिरिक्त आरोपपत्र: ED ने मई और जून में तीन अतिरिक्त आरोपपत्र दाखिल किए हैं।
- अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी: दिल्ली के मुख्यमंत्री को भी इसी मामले में गिरफ्तार किया गया है।
- बड़े षड्यंत्र की जांच: CBI अभी भी शराब नीति घोटाले के पीछे के बड़े षड्यंत्र की जांच कर रही है।
क्या होगा आगे?
अब सभी की नजरें अगले हफ्ते होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं। कुछ महत्वपूर्ण सवाल हैं जिनके जवाब सबको इंतजार है:
- क्या सिसोदिया को जमानत मिलेगी?
- ट्रायल कब शुरू होगा?
- क्या जांच एजेंसियां कोई नया खुलासा करेंगी?
- इस मामले का राजनीतिक प्रभाव क्या होगा?
मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका का मामला न केवल कानूनी बल्कि राजनीतिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह केस दिल्ली की राजनीति और भारत के न्यायिक प्रणाली पर गहरा असर डाल सकता है। आने वाले दिनों में इस मामले पर सभी की नजरें रहेंगी।
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