विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोप में भाजपा द्वारा दायर मानहानि मामले में आम आदमी पार्टी की नेता एवं दिल्ली की मंत्री आतिशी को समन जारी किया गया है। दिल्ली भाजपा के मीडिया प्रमुख प्रवीण शंकर कपूर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के इस मामले में दिल्ली की अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट तान्या बामनियाल ने आतिशी को समन जारी किया है। हालांकि, मजिस्ट्रेट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को तलब करने से इनकार कर दिया और कहा कि उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता है।
भाजपा नेता प्रवीण शंकर कपूर ने केजरीवाल और आतिशी दोनों के खिलाफ ही आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया है। उनका आरोप है कि जब भी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) किसी मामले की जांच के सिलसिले में आप नेताओं से संपर्क करता है, तो वे भाजपा को कोसना शुरू कर देते हैं और आरोप लगाते हैं कि भाजपा आप विधायकों को लुभाने की कोशिश कर रही है।
अदालत में दायर याचिका में आप नेताओं पर झूठे मानहानिकारक बयान देने का आरोप लगाया गया है, जिन्हें वे किसी भी सामग्री के साथ साबित नहीं कर सकते। यह याचिका केजरीवाल द्वारा जनवरी में एक्स पोस्ट और 2 अप्रैल को आतिशी द्वारा आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के खिलाफ दायर की गई थी। भाजपा नेता का आरोप है कि आप नेता दिल्ली शराब नीति मामले से जनता का ध्यान हटाने के लिए ऐसे बयान देते हैं।
केजरीवाल के ट्वीट में आरोप लगाया गया था कि बीजेपी ने आप के 7 विधायकों से संपर्क किया है। पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा विधायकों को लुभाने के लिए 25 करोड़ रुपये की पेशकश कर रही है और दिल्ली सरकार को गिराने के प्रयास किए जा रहे हैं।
वहीं, आतिशी ने 2 अप्रैल को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि बीजेपी ने उनके एक बेहद करीबी व्यक्ति से संपर्क किया और संदेश दिया कि अगर वह बीजेपी में शामिल नहीं होती हैं तो ईडी उन्हें एक महीने के भीतर गिरफ्तार कर लेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी लोकसभा चुनाव से पहले आप के 4 नेताओं को गिरफ्तार करना चाहती है। आतिशी ने आगे कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी आप को खत्म करना चाहते हैं।
इस प्रकार, भाजपा ने आम आदमी पार्टी के नेताओं द्वारा विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोपों के कारण मानहानि का मुकदमा दायर किया है। अदालत ने इस मामले में केजरीवाल को तो छूट दी है, लेकिन आतिशी को समन जारी किया गया है। यह मामला आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए अदालत में विचाराधीन है।
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