Protests against new criminal laws in India: वकीलों और कार्यकर्ताओं की चिंताएं और सरकार का पक्ष
भारत में हाल ही में लागू किए गए नए आपराधिक कानूनों ने देश भर में एक बहस छेड़ दी है। ये कानून, जो 1 जुलाई 2024 से प्रभावी हुए हैं, भारतीय दंड संहिता 1860, दंड प्रक्रिया संहिता 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह लेते हैं। इन नए कानूनों का उद्देश्य भारत की न्याय प्रणाली को आधुनिक बनाना है, लेकिन इनके कई प्रावधानों पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
नए कानूनों की मुख्य विशेषताएं
- पुलिस शक्तियों का विस्तार: नए कानून पुलिस को विचाराधीन कैदियों के मामले में अधिक अधिकार देते हैं।
- गैंगरेप के लिए मृत्युदंड: 18 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के साथ गैंगरेप के मामले में मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है।
- न्यायिक प्रक्रिया में समय सीमा: न्यायाधीशों को मुकदमे की समाप्ति के 45 दिनों के भीतर लिखित फैसला देना होगा और पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय करने होंगे।
- फोरेंसिक जांच अनिवार्य: 7 साल या उससे अधिक सजा वाले अपराधों में फोरेंसिक जांच अनिवार्य कर दी गई है।
- नए अपराधों का समावेश: भीड़ द्वारा हत्या और नफरत भरे भाषणों जैसे अपराधों के लिए सजा का प्रावधान किया गया है।
वकीलों और कार्यकर्ताओं की चिंताएं
- न्याय प्रणाली पर बोझ: कई वकीलों का मानना है कि नए कानून मुकदमेबाजी को बढ़ावा देंगे, जिससे पहले से ही बोझिल न्याय प्रणाली पर और दबाव पड़ेगा।
- पुलिस की अत्यधिक शक्तियां: नए कानून पुलिस को अधिक अधिकार देते हैं, जिससे दुरुपयोग की संभावना बढ़ जाती है।
- पुराने मामलों का भविष्य: नए नियम केवल 1 जुलाई 2024 के बाद के मामलों पर लागू होते हैं, जिससे पुराने मामलों के लंबित रहने की आशंका है।
- कानूनी अस्पष्टता: 1 जुलाई से पहले हुए अपराधों के लिए किस कानून का पालन किया जाएगा, इस बारे में भ्रम है।
- पुरुषों के लिए सुरक्षा का अभाव: नए कानूनों में पुरुषों के साथ बलात्कार के मामले में कोई विशेष सुरक्षा प्रदान नहीं की गई है।
सरकार का पक्ष
- आधुनिकीकरण: सरकार का दावा है कि नए कानून भारत की न्याय प्रणाली को दुनिया में सबसे आधुनिक बनाएंगे।
- पीड़ित-केंद्रित दृष्टिकोण: नए कानूनों को पीड़ितों के हितों को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
- दोषसिद्धि दर में वृद्धि: सरकार का मानना है कि नए प्रावधानों से दोषसिद्धि दर 90% तक पहुंच सकती है।
- व्यापक प्रशिक्षण: हजारों न्यायिक अधिकारियों, सरकारी वकीलों और पुलिस अधिकारियों को नए कानूनों के बारे में प्रशिक्षित किया गया है।
राज्यों की प्रतिक्रिया
भारतीय संविधान राज्यों को इन कानूनों में संशोधन करने का अधिकार देता है। कर्नाटक जैसे कुछ राज्यों ने पहले ही इन कानूनों में 20 से अधिक बदलाव करने की घोषणा की है। उनका कहना है कि कुछ प्रावधान सरकार के खिलाफ भूख हड़ताल जैसे लोकतांत्रिक विरोध को भी अपराध की श्रेणी में डाल सकते हैं।
मानवाधिकार संगठनों की प्रतिक्रिया
एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे मानवाधिकार संगठनों ने इन कानूनों को तुरंत वापस लेने की मांग की है। उनका तर्क है कि नए प्रावधान पुलिस द्वारा दुरुपयोग को बढ़ावा दे सकते हैं। विशेष रूप से, हिरासत के नियमों में बदलाव से यातना और अन्य दुर्व्यवहार की संभावना बढ़ सकती है।
वकीलों का विरोध
तमिलनाडु में 13,000 से अधिक सदस्यों वाले दो वकील संघों ने नए कानूनों के विरोध में अदालती कार्यों का बहिष्कार करने की घोषणा की है। उनका मानना है कि ये कानून वकीलों के काम को और जटिल बना देंगे।
New Criminal Laws in India Controversies and concerns A deep dive into legal reforms
भारत के नए आपराधिक कानून एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक हैं, लेकिन इनके कार्यान्वयन और प्रभाव को लेकर गंभीर चिंताएं हैं। सरकार का दावा है कि ये कानून न्याय प्रणाली को मजबूत करेंगे, जबकि आलोचकों का मानना है कि इनसे नागरिक स्वतंत्रता और कानूनी प्रक्रिया पर खतरा हो सकता है। आने वाले समय में इन कानूनों के वास्तविक प्रभाव का मूल्यांकन करना महत्वपूर्ण होगा, ताकि न्याय और मानवाधिकारों के बीच संतुलन सुनिश्चित किया जा सके।
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